लेखनी कविता - देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास

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देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास  देव! दूसरो कौन दीनको दयालु।  सीलनिधान सुजान-सिरोमनि, सरनागत-प्रिय प्रनत-पालु॥१॥  को समरथ सर्बग्य सकल प्रभु, सिव-सनेह मानस-मरालु।  को साहिब किये मीत प्रीतिबस, खग निसिचर कपि भील-भालु॥२॥ ...

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